Monday 11 June 2012

नसीब (Destiny)


मैं तुझसे कितनी दूर हूँ,
और तू मुझसे दूर होकर,
मेरे कितने करीब,
हाय कैसा ये मेरा 'नसीब'.

जब तुझे देखा था पहली बार,
हो गया था मुझे तुझसे प्यार,
मन ही मन मैं तुझसे करता रहा प्यार,
कर न सका मैं तुझसे इकरार,
मैं हो न सका तेरे करीब,
हाय कैसा ये मेरा 'नसीब'.

एक दिन आया मेरे दिल में ख्याल,
शायद तुझे भी है मेरे प्यार का एहसास,
पर तुने मेरे कहने का किया इंतज़ार,
करते रहे हम एक दुसरे से प्यार,
लम्हा था वो कैसा अजीब,
हाय कैसा ये मेरा 'नसीब'.

एक दिन चली गयी तू मुझसे दूर,
रह गया मैं तन्हा और अकेला,
अपने को गम में धकेला,
तेरे प्यार में टूटा मैं,
सब कुछ खोकर हो गया गरीब,
हाय कैसा ये मेरा 'नसीब'!





4 comments:

  1. Beta aisa hi hota hai... Girls are often sick, not to understand easy visible psyche of guy they call 'friend'.

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  2. Yeah..this is the destiny of every other guy! :(

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