Sunday 22 May 2011

Ye hai meri kahani (ये है मेरी कहानी)

राहों में चलते चलते कदम थक गए हैं,
मैंने दूर निकलना छोड़ दिया है

मंजिल अभी भी बहुत दूर है,
पर ऐसा तो नहीं है कि मैंने चलना छोड़ दिया है.

लोग कहते हैं कि दूरियां बाधा देती है मोहब्बत,
पर ऐसा तो नहीं है कि मैंने पास आना छोड़ दिया है.

ज़िन्दगी में खाई हैं बहुत सी ठोकरें और गिरा हूँ मैं,
पर ऐसा तो नहीं है कि मैंने गिरकर उठाना छोड़ दिया है.

इस ज़माने कि भीड़ में मैं अकेला,
पर ऐसा तो नहीं है कि मैंने ज़माने को छोड़ दिया है.

मिली है मुझे हर जगह से नफरत,
पर ऐसा तो नहीं है कि मैंने प्यार जाताना छोड़ दिया है.

ज़िन्दगी में मिले हैं बहुत से गम,
पर ऐसा तो नहीं कि मैंने गुनगुनाना छोड़ दिया है.

तुम मुझसे रूठती नहीं हो,
पर ऐसा तो नहीं कि मैंने तुम्हे मानना छोड़ दिया है.

तुम मुझसे इतनी दूर हो और तुम्हारे बिना जीना मुशकिल है,
पर ऐसा तो नहीं है कि मैंने जीना छोड़ दिया है.

मुझे खुद से और तुम से हजारों शिकवे हैं,
पर ऐसा तो नहीं है कि मैंने तुम्हे चाहना छोड़ दिया है.

ये जरुरी नहीं कि हर कोई तुम्हारी मर्ज़ी से जिए,
बस इसलिए मैंने दिल को समझाना छोड़ दिया है!