बहुत
दिनों से यह बात दिल में थी,
पर कभी कह नहीं पाया.
और आज जब कलम उठाई,
तो सोचा की लिख ही डालूं.
पर कभी कह नहीं पाया.
और आज जब कलम उठाई,
तो सोचा की लिख ही डालूं.
McD और Pizza Hut
जाकर बहुत मज़ा आता है,
पर माँ के हाथ की रोटी की बात ही कुछ और थी.
पर माँ के हाथ की रोटी की बात ही कुछ और थी.
Malls में घूमकर बहुत मज़ा आता है,
पर फॅमिली पिकनिक की बात ही कुछ और थी.
पर फॅमिली पिकनिक की बात ही कुछ और थी.
Prison Break देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं,
पर कार्टून नेटवर्क की दुनिया की बात ही कुछ निराली थी.
पर कार्टून नेटवर्क की दुनिया की बात ही कुछ निराली थी.
रातों
को देर तक जागकर खुश हो जाते हैं,
पर सुबह 7 बजे उठकर स्कूल जाने का मज़ा ही कुछ और था.
पर सुबह 7 बजे उठकर स्कूल जाने का मज़ा ही कुछ और था.
यूँ
तो Facebook पर हो जाती है दोस्तों
से बातें,
पर घर के पीछे वाले पार्क में गप्पे लड़ाने का मज़ा ही कुछ और था.
पर घर के पीछे वाले पार्क में गप्पे लड़ाने का मज़ा ही कुछ और था.
इस
अल्हडपन में लड़कियों को देखकर खुश हो जाते हैं,
पर बचपन में मंदिर की घंटी बजाने का मज़ा ही कुछ और था.
पर बचपन में मंदिर की घंटी बजाने का मज़ा ही कुछ और था.
बीनबैग
और सोफे पर बैठकर आराम मिलता है,
पर पापा के कंधे पर सर रखकर सोने का मज़ा ही कुछ और था.
पर पापा के कंधे पर सर रखकर सोने का मज़ा ही कुछ और था.
चाहे
जिंदगी बहुत बदल गई हो,
पर बचपन की वो यादें आज भी लौट आती हैं.
पर बचपन की वो यादें आज भी लौट आती हैं.
वो
बड़े ही सुनहरे दिन हुआ करते थे,
जब जिंदगी एक खुशनुमा शायरी और हम उसके शायर हुआ करते थे!
जब जिंदगी एक खुशनुमा शायरी और हम उसके शायर हुआ करते थे!
Soo true..:)
ReplyDeleteMy poem on childhood
http://navanidhiren.blogspot.in/2011/11/bachpan.html
Thank you! :)
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